IUCAA - VYOM Brochure 2024
07 दि ण भारत असत न रह ेऔर दशे का िवभाजन न हो, इसी उे य से ंु यह सब िकया गया। साथ भजेे भजप म जानकारी दज ह.ै.. कपया ृू उ ह दखे।' भजप क जाच करने का आदशे य आय ने अपने ूंुु 'भरतखडके उ री भाग म,आयावत म दसरी वािहनी िदखाई जाती ह,ै ंू यह दाि णा य िवड़ के िव प पात ह।ै ऐसी िशकायत कई वष से रही ह।ै यह सही होने के कारण, दसरी वािहनी का ेपण दि ण ू रा य म भी करने का िनणय एक साल पहले ही िलया गया था। पर े पण य भारत म नह बनते, उ ह गधव लोक से आयात करना ंं पड़ता ह।ै िपछले श ल प म यह सामा ी भारत पहच चक थी। ऐसे ुंु मौके पर म राज खद हि तनापर क सीमा पर आए थे इसिलए नई ुु वािहनी केआरभक जानकारी उ ह वह दी गई। ं पर, वय नकल- सहदवे के मामा मा ी के भाई कौरव के प म य ंु गए इस रह य को खोला नारदवािहनी ने। दसरे िदन ातःकालीन वाता ू म नारदजी ने इस पर य िट पणी क , 'श य महाराजका इरादा यिधि र ु क तरफ से लड़ने का था और वे अपनी सेना के साथ पाडव क ओर ं जा रह ेथे। रा ते म, जब उनक थक मादी सेना िव ाम थल ढढ रही ंूं थी, यवराज दय धन के सहका रय ने उनका वागत िकया और उ ह ुु खास पचतारािकत खमे ेम ले गए, जहा खद यवराज उनसे िमलनेआए ंंंुु और महाराज श य को कोई नई सिवधाए दान करने का आ ासन ुं िदया। इसम दरदशन क राजधानी वािहनी का ेपण म राजधानी म ू भी कराने का वादा समािव था। इस आवभगत से स न होकर महाराज श यकौरव के प म गए। पाडव के मामा म राज श य अपनी समची सेना सिहत कौरव के ंू प म आ गए ह- ऐसा समाचार अभी-अभी हमारे पास आया ह।ै' दरदशन ने सायकालीन समाचार म ऐलान िकया। इस घटना से कौरव ंू का उ साह बहत बढ़ गया ह ैऔर पाडव के गट म िनराशा िदखाई द ेंु रही ह।ै हमारे सवाददाता से बातचीत करते हए धमराज यिधि र ने ंु कहा िकआज के माहौल म स द एव िनकटवितय क िनयत पर भी ुं भरोसा नह िकया जा सकता। पर एक सद यीय कपाचाय आयोग को जाच के बाद भी आचार ृं सिहता के भग होनेकेकोई सबत नह िमले। ंंू यह समाचार सनते ही धमराज ने शषेनागजी के यहाआवेदन िकया िक ुं य के कछ ही िदन पहले ऐसे लोभन िदखाना, आचार-सिहता के ुुं िखलाफ ह।ै शषेनागजी ने कौरव को 'कारण तत करने क '. ु अिधसचना भजेी। कौरव ने य आय कायालय म ढेर भर भजप ूुुू भजेकर यह जवाब िदयाः अिधका रय को िदया। जैसे-जैसे य क िनयोिजत ितिथ िनकट आई, दरिच वाणी क ुू परदशेी वािहिनय ने य के आख दखे ेहाल को ेिपत करने के ुं िलए अनमित मागी। इ वािहनी, गधववािहनी, य वािहनी, ुंंं नारदवािहनी आिद के आवेदन-प , सचना और सारण म ालय के ूं यहा आए। आवेदन-प म उ ह ने पहले य के सारण के अपने ंु अनभव दज िकए और िवपल धनरािश श क के िलए दनेे के वाद ेुुु िकए। इस भारतीय य को दखेने, सनने और उसके प रमाण पर ुु िट पिणय के िलए भारत ही नह समच ेि लोक म गहरी उ सकता थी। ूु य , िक नर, दवे,गधव,पाताल के असर भी दरिच वाणी के सारण ंुू को दखेना चाहते थे। इस सारण म िदखाए जाने वाले िव ापन से इन वािहिनय को िवपल धनरािश अपेि त थी, जो श क से कई गना ुुु अिधकथी। और ऐसे ही दर विन केआदशे को सनकर दरदशन के म य सचालक ुुंूू हड़बड़ा उठे। खले-खले म हई श ा पधाओ का सारण उ ह ने ं िकया था। लेिकन ऐसी पधाए और भारतीय महाय , म जमीन ंु आसमान का फक था। ऐसे सारण का सचालन करने के िलए एक ं साहसी और अनभवी यि क आव यकता थी। ऐसा यि , जो ु अपने िनणय वयलेसकेऔर वत मत दशन कर पाए। दरदशन के ंंू अिधकारी 'हा जी हा जी करने म िनपण, पर इस िज मदेारी के कािबल ंंु नह थे। 'िब कल सही मामाजी। म अभी सचना और सारण को आदशे दतेा ुू ह िक सभी परदशेी िनिवदा अ वीकार कर और दरदशन पर यह काम ंू स प। और आपका दरदशन से सीधा सपक या होता ह,ै यह सभी ंू जानते थे। यवराज के द तर से आई दर विन पर िमलने वालेआदशे ुू का पालन सरकारी नौकर का फजथा। उनक जाच य द समा होने पर भी जारी रही...ंु लेिकन शकिन मामा ने यवराज दय धन को समयोिचत सलाह दी। ुुु 'यवराज, ये सभी वािहिनया परदशेी ह। केवल वािण य हते ये ेपणके ुंु िलए उ सक ह। इन पर हमारा कोई िनय ण" नह रहगेा, अगर इनका ुं सारण हमारे िहत को सभाल कर न हो सके। यिद ये पाडव का डका ंंं पीट तो उसका हमारे प के मनोधयै पर बरा असर पड़ेगा। इनके बजाए ु हमारा अपना दरदशन कह अिधक उपयोगी सािबत होगा, य िक ू वह परी तरह से अपने िनय ण म ह।ै कहते तो ह 'य कथा र या', ूंु लेिकन कौन सी कथा। र य ह,ै इसका चनाव हमारे त हारे हाथ म रह ेुु तो.... {h§Xr nIdm‹Sm amO^mfm àH$moð 2024 vyaaema
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