IUCAA - VYOM Brochure 2024
04 भाग - 1 लेिकन बाद म यवराज दय धन के यास क बदौलत दरदशन क ुुू दसरी वािहनी 'दरदशन ि तीया' (द.द.-2) खली । लेिकन यह कछ ुुूूू चनी हई ातीय राजधािनय म ही दखेी जा सकती थी इसिलए इसे ुं सामा य प से 'राजधानी वािहनी कहा करते थे। महाभारत काल म टेलीिवजन होता तो या होता? सजय ं उसक 'रिनग कम ी' रा ीय चैनल पर सनाते और परदेसी ंु चैनल य क कटनीितक ितकड़म क खोजी रपट तत ुूु करते। कौरव-पाडव के बयान जारी िकये जाते और य -ंु आय शेषनाग सब पर नजर रखते। इस अक से तत है ुंु स िस वै ािनकजयत नाल कर क यहका पिनककथाुं दरदशन पर महाभारत क मािलका बहत लोकि य सािबत हई। ू लेिकन यहा आप पढ़गे आख दखेा हाल, जो ापर यग म महाभारत ंंु य के दौरान त कालीनअखबार एव दरदशन जैसे समाचार मा यम ुंू ने सा रत िकया था। यासजी के अठारह पराण म जो रोचक िक सा ु पढ़ने को िमलता ह,ै उसके माहौल को अिधक प बनाने म इन समाचार का मह वपण योगदान रहा ह।ै हमारी पौरािणक स कित म ृूं आधिनक िव ान एव तकनीक िवकिसत थे ऐसा िव ास रखने वाले ुं िनि त प से इस व ातको रोचकएव बोधकपाएगे।ृंंं ापरकालीन भारत म हि तनापर नरेश धतरा के जमाने म रा ीय ृु दरिच वाणी का नेटवक आसेत िहमाचल और मलय से गाधार तक ुंू फैला था। उसे 'दरदशन' कहते थे। पहले जो इसक एक ही वािहनी ू हआकरती थी, िजसे 'दरदशन थमा' या से प म 'द- द-1' कहा करते ंूू थे। इसकेकाय म रा यापी तौर पर सा रत होते थे। राजधानी वािहनी पहले पहले तो केवल हि तनापर एव अग और ुंं दरदशन पर या- या सा रत िकया जा सकता ह ैऔर या नह , ू इसके भी अिलिखत िनयम थे। उदाहरण व प ितिदन येक वाता- प वाताप म - चाह ेवह स कत म हो या ाकत वा अप श म-ृृंं धतरा महाराज को कम से कम एक बार,यवराज दय धन को तीन ृुु बार, और दःशासन-कण-शकिन म से कम से कम एक को िदखाया ुु जाना अिनवाय था। ह ते म एक ही दफे पाडव का समाचार िदया जा ं सकता था । जब अजन ने वयवर म सफलता हािसल कर ौपदी को ुं जीता , तब उस वाता को दबारा िदखाने के िलए दरदशन िनदशेक क ुू हि तनापर सेअ णाचलको बदली क गई थी।ु गाधार दशे क राजधािनय म ही िदखाने का िनणय िलया था। यह ं िनणय राजनीितक और यि गत वाथ से िलया गया ऐसा इ ज़ाम पाडव ने लगाया था। उनका कहना था िक यवराज के मामा शकिन ंुु गाधार नरेश होने क बदौलत और अगराज कण यवराज के ंंु िनकटवितय म से होने के कारण गाधार और अग रा य को सिवधा ंंु दान क गई। इस आरोप को ठकराते हए हि तनापर नरेश के सचना ुुू और सारण िवभाग के व ा ने िट पणी क िक गाधार सीमावत ं ात होने के नाते और उस िदशा से यवन का आ मण होने क ं आशका होने से उस ात को चना गया। उसी कार िन नविणय को ंंु सहिलयत दनेे के उे य से अगराज के ात को यह सिवधा दान क ंंु गई। यहा कोई राजनीितक या अद नी हतेओ का सवाल नह पैदा ंंुं होता । कछ काल तक जनता ने इस एक तरफा सारण पर अपना िवरोध ु दशाया। हि तनापर क राजसभा म पाडव ने यह कई बार तत ुंु िकया और काफ हगामा भी मचाया। दरदशन को वाय ता दनेी ंू चािहए। इस म ेपर राजसभा म काफ चचा हई। पर कौरव शासन ने ु इस बारे मकोई ठोसकदम, नह उठाए। 'स ाधीश होने पर हम दरदशन ू को, परी तरह से वाय बनाएगे' ऐसा ऐलान यिधि र ने राजसभा म ूंु िकया। उस पर शकिन ने िट पणी क ऐसा तो याव च िदवाकर - नह ुं होगा।' - ो. जयत नाल करं महाभारतीय दरूदशन आलेख {h§Xr nIdm‹Sm amO^mfm àH$moð 2024 vyaaema
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