IUCAA - VYOM Brochure 2024

28 ल चाँद से ांड आसमाँ म झला डालकर, चाँद पर उतर गया,ू ाड को समझने, एक िमशन पर िनकल गया,ं चार तरफ अँधेरा, तारे चमक रहे थे, अपनी िवशाल काया लेकर, सिदय से भटक रहे थे, कोई नह था मेरा, ना था मेरे जैसा जीवन, चार तरफ था अधड़, न थी ऑ सीजन,ं सोचा था ाड म, कोई िमलेगा कह भी,ं कोई भटकती काया, मझको िमलेगी यहाँ भी,ु चलना मेरा वहाँ पर, कछ ऐसा लग रहा था,ु जैसे कोई मग शावक, कलाँचे भर रहा था,ृु उस अनजान तल पर, दम मेरा घट रहा था,ु कोई बचा ले मझको, मन ऐसा तड़प रहा था,ु सिपल आकाशगगा, मझको घेरे खड़ी थी,ंु मनमोहक प वी मेरी, लटक -सी लग रही थी,ृ कछ सौरमडल के ह, प िदख रहे थे,ुं कई चाँद इनके मझको, चार तरफ िदख रहे थे,ु िकसी ई रीय शि से, सब ताना-बाना बना था,ु िकसी अ त बल से, सब नजारा बधँा हआ था,ु मन चाह रहा था मेरा, मगल पर होकर आऊँ,ं कछ ढढ़ँने क इ छा क , यास म बझाऊँ,ुूु िफर एक ती शोर का वर, मि त क म गँजता है,ू त और तेरी चेतना ही ाड है, िफर िकसको ढढ़ँता है,ूंू ये चेतना ही यग से, ाड म है समाई,ुं जो िविभ न प लेकर, प वी पर बार-बार आई,ृ एक भयकर झटका आया, त ा से म जग गया,ंं पाकर अपन को म य, मन खशी से उछल गया,ु सोचा ाड का ही कण ह,ँ िफर य ाड ढढ़ँ,ंंू िजस रचियता ने यह सब रचा है, म बस उस रचियता को ढढ़ँ।ू िहदी ितयोिगता िवजेती रचनां - डॉ. नाग कमारु {h§Xr nIdm‹Sm amO^mfm àH$moð 2024 vyaaema

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