IUCAA - VYOM Brochure 2024

24 टीएमटी प रयोजना से कई लाभ ह गे, जैसे िक वै ािनक अनसधान म ुं गित, तकनीक िवकासऔर वैि क पहचान म वि । यह प रयोजना ृ भारत को खगोलीय अनसधान के े म अ णी बना सकती ह ैऔर ुं दशे के वै ािनक को खगोलीय घटनाओक गहराई से जाच करने का ंं अवसर दान करेगी। इसके साथ ही, इस प रयोजना म य ु अ याधिनक तकनीक के िवकास से भारत के तकनीक कौशल म भी ु सधार होगा, िजससे नए अनसधान क और उ च ौ ोिगक ुुं कपिनय का िवकास सभव हो सकेगा। इसकेअलावा, इस प रयोजना ंं ि टेड सिकट बोडस (PCBs) के िनमाण क िनगरानी कर रहा ह,ै ्ं िज ह टेली कोप म ए टयएटस को िनयि त करने और िविभ न ससर ्ूं डेटा ा करनेके िलए उपयोग िकया जाएगा। हालािक, इस प रयोजना के सम कछ चनौितयाँ भी ह, जैसे िक ंुु िनमाण थल का चनाव और थानीय समदाय के साथ सभािवत ुुं सघष। साथ ही, इतने बड़े पैमाने पर प रयोजना के िलएआव यक धन ं और ससाधन का बधन भी एक मह वपण चनौती ह।ै लेिकन इन ंंूु चनौितय के बावजद, टीएमटी इिडया प रयोजना भारत को वैि क ुूं खगोलीय अनसधान के े म अ णी बनाने क िदशा म एक ुं मह वपणकदम ह।ैू म भारत क भागीदारी से दशे क वैि क पहचान म भी वि होगी, ृ िजससे भारत को एक मख वै ािनक रा के प म थािपत करने म ु मदद िमलेगी। जैसे-जैसे वह बड़े हए, उनक शिै क या ा उ ह िव ान के े मऔर गहराई तक ले गई। उ ह ने राजापर के साइस कॉलेज म बीएससी म ुं वेश िलया। बैचलर ऑफ साइस के दसरे वष म पढ़ते समय, िदनेश ंू महारा रा य के क कण म, राजापर गाँव सदर ाकितक सदरता से ृुंुंु भरपर एक गाँव ह।ै राजापर के ाकितक ससाधन घने जगल, निदयाँ, ृूुंं झरने और एक िव तत और मनमोहक सम तट ह। इसके ना रयल ृु और सपारी के पेड़, हरे-भरे खते और आम के पेड़ हम चतै य का ु एहसास कराते ह।िदनेश परब अपने माता-िपता के साथ राजापर म ु रहता था। उ ह िव ान का शौक था।अपने कल के जोशी सर से यह ू िच िदनेश को िमली।जोशी सर ने ब च को पढ़ाई के साथ-साथ िव ान क कहािनया सनाते थे । उ होने कल म ब च के िलए ंुू िव ान प तकालय क श आत क थी । िजससे ब च म पढ़ने का ुु च का लग गया।िदनेश को कल ारा पण ेम इटर-यिनविसटी सटर ूुंू फॉर ए ोनॉमी एड ए ोिफिज स (IUCAA) साइस सटर का दौरा ंं करने का अवसर िदया गया, जहा उ ह िवलास सर ारा इ मटेशन ंं लैब म नाइट काई फोटो मीटर ोजे ट करने का अवसर भी िदया गया। यहअनभव उनके जीवनका अिव मरणीयअनभव था।ुु क मलाकात ोफेसर वि नल माने से हई| िज ह ने क ा म छा से ु एक पछा,150 करोड़ क आबादी और 800 िजल वाले हमारे ू दशे भारतकोआजादी िमले पचह र साल हो गए ह। याआज हर घर म िबजली ह?ै और अगर कल कोयला नह होगा तो दशे म िबजली कैसे पैदा होगी?" उसके बाद सर, भारत म पानी और कोयले का उपयोग करके िबजली कैसे बनाई जाती ह।ै जल िव त सय कैसे ुंं काम करते ह।इसम िविभ न चरण के बारे म बताया। बाद म उ ह ने सौरऔर पवनऊजा क ाितकारी सक पना पेशक और जानकारी ंं दी िक भारत म ऐसी िबजली का उ पादन कहा होता ह ैऔर इसके या ं फायद ेह। इसम यह भी जानकारी दी गई िक पवन और सौर ऊजा ोत का उपयोग करके तेजी से बढ़ती िबजली क माग को परा करने ंू के िलए भारत ने कौन सी प रयोजनाए श क ह।इस नई जानकारी से ंुे रत होकर िदनेश को लगा िक उ ह इस े म कछ करना चािहए। ु कछ िदन बाद ोफेसर वि नल माने ने ब च को एकखशखबरी दी। ुु िजस बात का सभी ब च को बेस ी से इतजार था वह हो गया। ं ोफेसर वि नल माने ने भारत के सबसे बड़े सौर पाक क या ा के िलए एक शिै क या ा का आयोजन िकया। राजापर से मबई तक ुंु रा य प रवहन क बस सेऔर मबई से राज थान तक हवाई जहाज से ंु दनेश परब क जीवन या ा: राजापुर से सफल उ मी - क पेश िच लाळ िहदी ितयोिगता िवजेती रचनां {h§Xr nIdm‹Sm amO^mfm àH$moð 2024 vyaaema

RkJQdWJsaXNoZXIy MzM3ODUy