IUCAA - VYOM Brochure 2024
गए काय म केअनसार यह नीितअपनाई गई। पर अब उस धीमी गित ु क भारी क मतअजनको चकानी पड़ रही ह।ै" ुु यहा सजय ने अपने पास बैठे स याशा ी से पछा, "िच ग जी आपः ंंंूु बताइये, अजन का अब तक का सवािधक वध का उ चाक या रहा ुं ह?ै ''हनमानजी मौके क बात बोले” सजय ने कहा ”अभी कछ ऐसा हो ुंु रहा ह।ै अजन के सामने ि गत क सेना आखड़ी हई...उनके य से ुु लगता ह ैउ ह दी ा दी गई ह ैिक आ मक य मत खलेो, केवल ु अजनकोआगे न बढ़ने दो। अबक णजी या करगे?...''ृु बहत खब ! ीक ण जी मान हनमानजी क बात सन रह ेथे। उ ह ने ृूुु रथ दािहने घमाकर तेजी से दौड़ाया और आख से ओझल हो गए। ुं ि गत दखेते ही रह गए। वो .. रह ेहमारे पाचव कैमरे ने उ ह पकड़ा। वे बगल घमकर ि गत का ंू च कर लगाकर उनके पीछे गए। बेचारे ि गत।" िफर सजय ने कैमरे से ं कौरव क यह रचना, का, िवहगम य िदखाते हए िट पणी क ः ूं "अबअजन केआगे दो सह कौरव वीर ह।ैऔर बीच ह ैकेवलआधी ु घिटका। यिद अजन इ ह मार पाए तो राम-रावण य म इ जीत का ुंुं बदर भालमारनेका रेकाड टट जाएगा।ंूू यहा सजय ने हनमानजी को पद पर बलाया।''हनमानजी? आपका ंंुुु बहतलबा अनभव ह.ै..आपअजनक जगह होते तो या करते? ंुु दरदशन क पहली वािहनी के दशक क भीड़ बढ़ती जा रही थी। कछ ुू बड़े ाम म बड़े पद पर वीिथय म, गाव के मखक म, 'घर-घर म ंु ''सजय, जब िवराट पर हमला हआथा तब अजन नेआधी घिटका म ंु पाच सह कौरव सेना को हताहत िकया था। लेिकन, यह माहौलकछ ंु अलग मालम पड़ता ह।ै थोड़े काले के िलए भले ही सभव हो पर वध ूं क ऐसी तेज र तार तीन चार घिटका बनाए रखना सभव नह िच ग ंु बोले। अपनी पछ हाथ म लेते हए हनमानजी बोले ''जैसे मने रा ते म खड़ी ूु सरसा रा ासी से लड़ाई न करके उ ह बगल रख म भाग िनकला,वैसे ु अजन को करना चािहए।अब केवल कौरव सेना का वध करके आगे ु िनकलना मि कल ह।ैलेिकन म आ त ह। खद रामच जी ुंुं क णावतार मअजनको मागदशनकर रह ेह...ृु अबकैमरे क गित धीमी कर दखे क णाजन गएकहाँ...ृु लोग इक ा होकर सया त क परी ा म थे। कौरव और पाडव के ूं समथक ने िवजयो सव मनाने के िलए पटाख , आितशबाजी, रोशनाई आिद का इतजाम कर रखा था। सया त के प ात शी ही ्ंू पता चलेगा िकसके पटाख ेबजगे। वैसे वग, मलय, किलग आिद रा य म सया त हो चका था। लेिकन ंंूु पि म म हि तनापर म अभी सय िबब ि ितज के कछ ही ऊपर था। ुूंु लोगआतरता से ती ा कर रह ेथे...ु के म घमासान य ... ुु सादीपिनऋिषक राजधानी को भटे...ं और ये वाताए समा होते-होते सय कभी का अ त हो चका था। िफर ंूु भी अितम भाग को उ कठापवक सनने वाले दशाक ने खाली इतना ंंूु ही सना? ु य का काय म दरदशन के पद से गायब हो गया। सजय क उतेिजत ुंू वाणी भी िवलीन हो गई। और पद पर सचना आईः "य का ेपण ूु अब दसरी वािहनी- राजधानी वािहनी पर दखे। इस वािहनी पर अब ू सायकालीन वाताप तत ह।ै ंु पर हाय राम !!!... मिहिष गाधारी क याशाला के वािषको सव म राजकमारी दःशलाजी ंुु का भाषण... लेिकन दरदशन ने अपना रवैया कायम रखा-भले ही कछ योजन पर ुू घमासान लड़ाई चल रही हो। उसनेअपने म य समाचार सनाएः-ुु आसेत-िहमाचल, आमलय-गाधार दशे के कोने -कोने से िनकली ुं दशक क शापवािण, सचना और सारण म ालय के ि थत ूं हि तनापर म सन भी पाते तो कर ही या सकते थे? वे जानते थे िक ुु अजन-जय थ सघष के आिखरी िनणायक ण बहताश दशक नह ुंं दखे पाएग य िक राजधानी वािहनी सभी जगह नह जा पाती। य काल क आपात ि थित म रथो क मर मत करने वाल क ु हड़तालअवैधघोिषत.... िफर भी कछ दशक ने दरदशन को पहली वािहनी चलाए रखी , इस ुू आशा से िक शायद समाचार म वे य के अितम ण िदखाए जाए। ुं आिखर दरदशन के समाचार सपादक 'य य वाता र या ' इस कथन ंुू को जानते ह गे। 11 {h§Xr nIdm‹Sm amO^mfm àH$moð 2024 vyaaema
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