IUCAA - VYOM Brochure 2024
10 आचरण सदवै स जन का था। इसिलए उनका य से िनकल जाना ु आव यक तो नह था िफर भी उन जैसे आ मिभमानी के िलए पया सािबत हआ। इस याग-प से पाडव को राहत िमली य िक भी म ं का मकाबला करना उ ह भारी पड़ रहा था।ु यह 'आम सहमित' कैसे बनी, इसक अद नी बात' हि तनापर काल म ंु य कािशत हई। ''महारथी कण कौरव सेना म लौटे इस अपे ा से िक भी म िपतामह के प ात सेनापित के िलए उ ह को चना जाएगा। यवराज दय धन का ्ुुु िनकटवत गट िजनम राजकमार दःशासन और राजभातल शकिन ह, ुुुुु कणका नामआगे बढ़ाने पर उता था। खद दय धन भी इसी िवचार म ुु थे। लेिकन कपाचाय और िवदर ने ये ता म को अपनाकर ृु ोणाचाय के नाम पर जोर िदया परत ोणाचाय िन ावान ह या नह , ्ंु इसके ित दय धनआशिकत थे। कणक िन ा के ित उ ह तिनकभी ंु सदहे नह था। इसी बात पर दःशासन और शकिन जोर द ेरह ेथे। ंुु आिखर महाराज धतरा ने ोणाचाय के नाम क पैरवी क और ृ यवराजको समझाया िक ये ता म का उ लघन सेना के मनोबलके ुं िलए घातक िस होगा। वय ोणाचाय कट प से अपने को ं सेनापित पद के िलए याशी नह बताते थे लेिकन उनके िनकटवत उ ह इस पद का इ छकबताते थे।ु अपनी िन ा क परी ा दनेे के िलए ोणाचाय ने च यह क रचना ू "भी म िपतामह का इ तीफा वीकत होने पर महारथी कणकौरव सेना ृ म... भरती", कण पहले दस िदन य म 'सहभागी नह थे इस स य को ु जािहर न करने वाले दरदशन ने उनके य म शािमल होने क घटना को ुू अपने सायकालीन समाचार म अि म थान िदया। दरदशन ने आगे ंू कहा, "कण जी ने सेनापित पद के िलए ग वय ोणाचाय के नाम का ु ताव रखा, जो कौरव नेआम सहमित से पा रत िकया।" ''आिखर कछ सौदबेाजी के बाद कण ने इस पधा से नाम वािपस ु िलया। बदले म उ ह ज रत पड़े तो अगले सेनापित पद दनेे का वादा यवराज ने िकया और कण के आ ह पर वय महाराज श य से ुं सेनापितकणके सारथी बननेकाआ ासन िदया।'' लेिकन वाता प रषद म दय धन श य- कण तीन ने ऐसे वाद को ु इनकार िदया। कौरव व ा ने बताया, "कौरव सदा से सघिटक एव ंं एकतावादी रह ेह।आम सहमित यह उनक परपरा रही ह।ै"ं नारदवािहनी ने अपनी िट पणी म कहा िक िशखडी घोटाले को इस ं मौके पर बाहर लानेका षडय ीक णजी ने रचा था।्ृं क और उसम वेश कर सकने वाले एकमा पाडव अजन के प ंुु अिभम य क िनघण ह या क । उस घटना से ोिभत अजन ने घोषणा ृुु क िकआज य के सया त के पहले वे जय थका वधकरगे अ यथा ुू आ मदहन कर दगे। य िक एकमा जय थ ऐसे यो ा थे िज ह ने अिभम यके िसवाऔर िकसी पाडव यो ा को च यह म घसने नह ुंूु िदया था । िपछली बार आपने पढ़ा: िशखडी घोटाले के कारण कौरव सेनापितः ं भी म को पद से यागप दनेा पड़ा, साथ ही जीवन से भी हाथ धोना ं पड़ा। ोणाचाय नये सेनापित बने और च यह क रचना कर अजन ूु प अिभम य क िनघण ह या क । ोिभत अजन ने सया त से पव ृुुुूू जय थ-वधकरनेक ित ा क । अबआगेः परद ेपर एकघिटका य बता रहा था िकसया त के िलए िकतना समय ंू शषे ह।ै बीच-बीच म रेखािच के ारा अजन के जय थ क ओर बढ़ने ुं का योरा िदया जाता था। सबेरे से अजन ने िकतने कौरव सैिनक मारे, ु इसक जानकारी दी जा रही थी। बड़े जोश के साथ सजय बता रह ेथे... ं "सबेरे अजन कौरव सैिनक का वध एक घिटका म एक सह - याने ु उनके पहलेके परा म को यान म रखते हए कछ धीमी गित से कर रह ेथे। हो सकता ह ैीक णजी के ारा बनाए ृु ोणाचाय ने कशलता से यह रचना कर जय थ को सर ा ुूु दान क । उधर सारिथ क ण तथा पाडव क सहायता से ृं अजन जय थ क ओर बढ़ रहे थे। इस सघष का आख देखा ुंं हालसजयअपनी रोचकशैली मसना रहे थे। दरदशनके दशक ंुू क भीड़ बढ़ती ही जा रही थी।"" सया त होने को ही था िक ू य का काय म दरदशन के पद से गायब हो गया। ुू सायकालीन वाताप तत िकया जाने लगा और घमासान ंु य क परवाह िकए िबना दरदशन अपने म य समाचार सनाने ुुुू लगा। क पना कथा- 5 ोणाचाय ने बड़ी कशलता से यह रचना करके जय थ को सर ा ुूु दान क थी। कौरव यो ाओक दीवार जय थ और अजन के बीच ंु खड़ी थ । उधर क ण के सार य और 'पाडव क सहायता से, अजन ृंु मशः जय थ क ओर बढ़ रह ेथे। इस सघष का आख दखेा हाल ंं सजय अपनी रोचक शलैी म दरदशन पर सना रह ेथे। हि तनापर और ंुंुू इ थ ही नह गाधार से ग , िसध से हप ा तक छोटे- बड़े ाम ंंुु म नाग रककाम धधा छोड़कर दरदशनके सारण दखे रह ेथे।ंू {h§Xr nIdm‹Sm amO^mfm àH$moð 2024 vyaaema
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