IUCAA - VYOM Brochure 2024

09 य केआरभ से ही कौरव-दल म 'िन ावान ' का एक गट था िजसका ुंु दावा था िक उ ह छोड़कर अ यकौरव पाडव के ित सहानभित रखते ंुू ह और यवराज दय धन को अपनी परी िन ा नह समिपत करते। इन ुूु िन ावान के अ णी थे दःशासन, शकिन और कण। कभी कट प ुु से या कभी आड़ से ये िन ावान भी म, ोण, कप जैसे अ िणय का ृ भी वा ाडन करते थे। उनका कहना था िक पाडव से ये तीन अनभवी ंु महारथीगण मनलगाकर नह लड़गे। "हि तनापर-काल", "इ थ जलद वाता", "आयावत समाचार" ुं आिद अखबार ने इस वाद-िववाद को अपने थम प पर अि म ृ थान िदया। यह भी माना जाता था िक कौरव दल के दो टकड़े हो चके ुु ह। जो कणके समथकथे उ हकौरव (क) तथा जो भी मके समथक रह े उ हकौरव (भी) कहा जाने लगा। लेिकन यह झगड़ा बहत काल नह चला। ीक णजी क म य थता ृ क बदौलत सजय का याग-प वीकत नह हआ और उ ह िफर ृं वािपस बलाया गया। दसरे िदन से वे िफर समालोचनकरनेलगे।ुू "अभी मने सजयजी से बात क । जब उ हअिनि तकालके िलए छ ी ंु पर भजेा गया, तभी वे अपना याग प दकेर अपना घर छोड़ बाहर ग ु जगह गए। उनका कहना ह ैिक य समालोचक का यह फज ह ैिक वह ु अपनी िट पणी म अपने िवचार य करे। ड़ा समालोचन म यही परपरा रही ह।ैं राम-रावण य से लेकर िवराट य तक समालोचक अपनी ुु वाय ता बनाए रख ेह। इसी फज को उ ह नै िनभाया। यह भी उ ह ने मा य िकया िक समालोचन क भिव यवाणी गलत भी सािबत हो चक ह।ै इसिलए कौरव सरकार को ऐसी ती िति या कट नह ु करनी थी।" ऐसे ही एक िववाद म भी म ने कण से कछ कठोर श द कह।े पहले ही ु कण इस बात पर थे िक ये ता का िनकषलगाकर भी मको कौरव सेनापित बनाया गया। कण चाहते थे िक बहादरी के बल पर एव ंु दय धन के ित िन ा के बल पर उ ह सेनापित पद िमलना चािहए था। ु ऐसी हालत म भी म से डाट खाने पर कण ने जािहर िकया िक जब तक ं भी म सेनापित ह, तब तकवे नह लड़गे। लेिकन दरदशन ने इस िववाद क वाता ही नह दी। इसिलए जो लोग ू अखबार या अ य वाहिनय के समाचार से दर थे, उ ह इस बात पर ू आ य नह रहा िक य के पहले दस िदन म कण जैसे महारथी का ु वणन य नह आया। भी म िपतामह: िन ावान' के िवशषेण से विचत रहने पर भी कौरव ्ं िसहासन के ित परी िन ा रख के लड़ रह ेथे, पर उ ह बीच बीच म ंू यवराज दय धन के ताने सनने पड़ते थे "िपतामह !आप अजन को य ुुुु नह हराते ?... याआप स च ेिदलसेलड़ रह ेह?" एक बार ऐसे तान से तग आकर िपतामह ने अपने शौय क हद कर दी िजसका अजन ंु कछ भी जवाब न द ेपाए। अजन क िनि यता दखेकर आिखर उनके ुु सारिथ ीक णजीउ िेजत हो अपना सदशन च लेकर य के मदैान ृुु म उतरे। ी क णजी। आप अपना न लडने का सक पन तोड़। यह ृं हम पाडव क ल जा का िवषय होगा।" अजन के मनाने पर ंु ी क णजी वािपस लौटे... लेिकन उस िदन बाजी भी म क ृ रही। क पना कथा- 4 िपछली बार आपने पढ़ाः सजय याग-प दनेा चाहते थे लेिकन ी ं क ण के म य थता क बदौलत सजय का याग-प वीकत नह ृृं हआ और िफर उ ह वािपस बलाया गया। दसरे िदन से िफर वे ुू समालोचन करने लगे। दसरी तरफ भी म को कौरव सेना का सेनापित ू बनाया गया। कण चाहते थे िक बहादरी के बल पर उ ह सेनापित, पद ु िमलना चािहए था। ऐसी हालत म भी म से डाट खाने पर कण ने जािहर ं िकया िक जब तक भी म सेनापित ह, तब तक वे नह लड़गे। अब आगेः वैसे त कालीन समाज म घोटाले म 'आरोिपत यि यागप द ेऐसी परपरा नह थी। जरासघ, कस, िशशपाल आिद हजार घोटाले ंंंु पचाकर रा य करते रह।े लेिकन आिखर उ ह बलपवक िनकालना ू पड़ा था और पद याग के साथ-साथ वे जीवन से भी हाथ धो बैठे थे। भी म क िशखडी घोटाले म गलती अव य थी लेिकन उनका ं लेिकन ऐसे बहादरऔर स यिन भी मको. दस िदन म सेनापित पद से ु इ तीफा दनेा पड़ा। इसका कारण था उनके इितहास का िशखडी ं घोटाला। पाडव का समथन करने वाले कछ पीत समाचार प ने इस ंु घोटाले को इस मौके पर जनता के सामने रखा। उस समय पाडव दल ं और कौरव (क) के लोग के वा बाण से आहत होकर भी म को सेनापित पद से याग-प दनेा पड़ा। " ीक ण जी ! आप अपना न लड़ने का सक प न तोड़। यह हम ृं पाडव क ल जा का िवषय होगा।" अजन के मनाने पर ीक णजी ृंु वािपसलौटे... लेिकन उस िदन बाजी भी मक रही। {h§Xr nIdm‹Sm amO^mfm àH$moð 2024 vyaaema

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