IUCAA - VYOM Brochure 2024
08 िपछली बार आपने पढ़ाः कौरव-पाडव य क ितिथ नजदीक आते ंु ही दरिच वाणी क परदशेी वािहिनय ने य का आख दखेा हाल ुंूे िपत करने क अनमित मागी। इस भारतीय य का प रणाम जानने ुंु क उ सकता भारत ही नह समच ेि लोक म थी। शकिन मामा ने ुूु दय धन को सलाह दी िक परदशेी वािहिनय को य े पण का ुु अिधकार न द य िक उन पर कौरव का कोई िनय ण नह होगा। ं इसके बजाय दरदशन को ेपण के अिधकार िदए जाए। सम या यह ंू थी िक ऐसे े पण का सचालन करने के िलए एक साहसी और ं अनभवी यि क आव यकता थी जो अपने िनणय वय ले सके ुं और वत मत दशनकर पाये। अबआगेः-ं क पना कथा-3 सजय पहले दरदशन के वाता िवभाग म अिधकारी थे। बहत ही ंू कायकशल और अ छे िनरी क, जो घटनाओ का ताजा और गहरा ुं िववेचन पेश करते थे। लेिकन वे वत वित के थे और केवल चनी ृंु घटनाओ को ही दरदशन पर पेश करते थे, जो 'समाचार म य' म ंूू अि म थान पर ह । लेिकन नौकरशाही को यह मा य नह था... उसका अिलिखत िनयम राजकल (कौरव का), म ी एव यवराज के ुंंु िन ावान ऐसे लोग पर ही दरदशन वाता कि त करना चाहता था। ू आिखर दखलदाजी से उकताकर सजय ने दरदशन क नौकरी से ंंू याग-प दकेर गधव वािहनी म अपने काय म वत भा यकार क ंं हिैसयत से दनेा ारभ िकया। येकाय म बहत ही लोकि य थे। लेिकन ं या सजय िफर दरदशन पर वािपसआएगे ?ंंू धतरा क ओर से ीक ण जी ने यह हामी दी और सजय दरदशन म ृृंू इस किठनाई का हल िनकाला ीक णजी ने। उ ह ने महाराज धतरा ृृ के आगे ताव रखा िक दरदशन के ता कािलक य -वाता सारण ुू का िनदशेन सजयको स पा जाए।ं (अगली बार : सम या का हल िनकाला ीक ण ने। कैसे?)ृ ीक ण जी ने उ ह मनाने क िज मदेारी वय कर ली। उ ह ने सजय ृंं को समझाया िक यह दशे का आपसी झगड़ा ह।ै इस पर बाहरी शि य ारा िट पणी होने से कह बेहतर ह ैहमारे दरदशन पर ही, हमारे ू सव म वाता सपादक यह कर िदखाए। खास धतरा महाराज ृंं अध व के कारण यह चाहते ह िक सजय उ ह सब समाचार दऔर इसे ंं भारतीय जनता को भी सनने-दखेने का लाभ द। सजय राजी हो गए, इस ुं शत पर िक य के कौन से य िदखाए जाए, उन पर कैसी िट पणी हो, ुं इसके सब िनणय उ ह के ह गे उनम सरकारी ह ते प नह होगा। "जैसा िक ातःकालीन य वणन म दखेा गया, य के आरिभक ुुं ण म अजन िककत य िवमढ़ हो गए थे। अिहसा के मोह म आकर ुंूं उ ह ने गाडीव उतार कर रख िदया और अपने सबिधय और िम का ंंं जो कौरव क ओर से लड़ रह ेथे, वध करने से इकार कर िदया। 'इतनी ं िहसा करके य जीतना और रा य करना इससे बेहतर न लड़ना' ऐसा ंु कहके उ ह ने ीक णजी से य से िनव होने का िनणय जािहर ृृु िकया। इस पर ीक ण जी ने उ ह समझा-बझाकर, गीता का उपदशे ृु दकेर कमयोग क दी ा दी। सभी दशक ने इसका समालोचन सजय ं के मखसे सना। "लेिकन जबअजन ने ऐलान िकया िक उनका मोह न ुुु हआऔर वे लड़गे तब सजय ने िट पणी क । वे बोले िक 'िजस ओर, ं योगे र क णऔर धनधर पाथ ह वह . िवजय ी जाएगी, ऐसा मरेा ढ़ ृु िव ास ह।ै धतरा महाराज सिहत सभी कौरव ने इस भा य पर गहरा ृ ोभ य िकया। ऐसा िव सनीय स ने बताया ह ैिक यवराज के ूु कायालय से दर विन ारा दरदशन के िनदशेकको आ ा भजेी गई िक ूू सजय के वाद त कथन क िच -फ त को काट िदया जाए। लेिकन ं वहकाटी िच -फ त हम यहा िदखा रह ेह।"ं "अभी िमली खबर के अनसार दरदशन ने सजय को अिनि तकाल ुंू के िलए छ ी पर जाने को कहा ह।ै इसका कारण कहा जाता ह ैसजय ुं का वह भा य जो उ ह ने गीता केअितम भाग म िकया।ं य सवेरे श हआ। दरदशन के पद पर सजय आये और उ ह ने ुुंू अपनी खास शलैी म समालोचन जारी िकया। लेिकन दोपहर के बाद सजय क जगह उनके सहकारी आये। लोग ने समझा िक सजय कछ ंंु काल िव ाम कर रह ेह गे। पर उस िदन सजय वािपस नह आये। लोग ं ने दरदशन कायालय म दर विन से पछा तो उ ह कोई सतोषजनक उ र ूंूू नह िमला। िकसी ने कहा िक उनक तिबयत िबगड़ गई ह,ै तो िकसी ने बताया िक उ ह गधव नगरी से एकाएक बलावा आया। एक दरदशन ंुू व ा ने कहा िक सजय िबना कछ कह ेगायब ह। इस बारे म ंु हि तनापरऔर इ थ म तेजी सेअफवाह फैल ।ुं यहा सजय को पद पर िदखाया गया उसी िच -फ त पर जो सरकारी ंं प से काटी गई थी, िफर नारदवािहनी का सवाददाता पद पर आया। ं वह सजयके घर के बाहर से बोल रहा थाः-ं वािपस आये और वाता े पण क तैया रया धमधड़ाके से आरभ ंूं क । पर पिहले ही िदन नौकरशाही का तमाचा सजय को लगा। वह ं घटना इस कार रही:- लेिकन एक घिटका म ही नारदवािहनी ने 'सजय का नाटयमय याग-्ं प ' इसशीषकसेसमाचार सा रत िकया। वह इस कार था। {h§Xr nIdm‹Sm amO^mfm àH$moð 2024 vyaaema
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