IUCAA - VYOM - Hindi Pakhwada 2023

{h§Xr nIdm‹Sm amO^mfm àH$moð 2023 05 पहला कारण था खशनमा मौसम। जहाँ तक मौसम क ुु सीमाओ का सवाल था, इसके कारण अि त व-र ा के िलए कोई ं आव यकता महसस नह होती थी। उस समय अकाल अव य पड़ते ू थे, कछ सीिमत तो कछ े म, िजनम बहत से लोग क जाने भी ुु आव यकताए ँमाँग उ प न करती थ , िज ह परा करने के िलए खोज ू क जाती थी। इसिलए यरोप म अि त व क र ा के िलए ौ ोिगक ू क तलाश जीवन का अग बन गई थी। इसके िवपरीत, भारतीय ं उपमहा ीप म मौसम क किठनाइयाँ इतनी तीखी नह थ और अि त व क र ा उतनी सम या भरी नह थी। इसिलए यहाँ नई ौ ोिगक के सजन के िलए कम ो साहन उपल ध थे। इस तरह यह ृ भी एक कारण ह ै, िजसने यरोपािसय को उपय जलवाय क तलाश ूुु म दसरे महा ीप म उपिनवेशबनानेके िलए बा य िकया। ू पि मी जगत जहाँ िव ान व ौिगक को अपना जीवन-् तर सधारने के िलए बखबी इ तेमाल कर रहा थ, वह सोलहव से ुू अठारहव शता दी म भारतीय लोग िव ान क मता से अनिभ थे या उ ह ने इसक परवाह ही नह क । उनक बे खी के सामािजक कारणभी थे। उपिनवेश बनाने के िलए भिम तलाश करने के िलए लबी ूं सम ी या ाओक ज रत पड़ी। इसम तामाम जोिखम थेऔर बहत से ुं लोग मारे भी गए। पर अपनी जान बचाने के िलए लोग ने िव ान को एक हिथयार के प म इ तेमाल करना आरभ कर िदया। जब सम ी ंु जहाज रा ता भलजाते थेऔरआकाश म उस समय बादल होते थे तो ू चबक य कपास उ ह राह िदखाता था। गन पाउडर के आिव कार ने ंुं बदक व छोटे आ नेया के िनमाण का पथ श त िकया। ये अ ंू धनष-बाणसे यादा भावी थे। ु सन 1857 के वत ता-स ाम के समय भारतीय क ्ंं सबसे बड़ी असफलता यह थी िक वे िव ान एव ौ ोिगक के मह व ं को समझने म असफल रह ेऔर ई ट इिडया कपनी क गोला-बारी के ंं सम घटने टेकते चले गए। इसके अलावा अे ज ने 'बाँटो और राज ुं करो' क नीित का भी भरपर इ तेमाल िकया और कई बार उ च ू ौ ोिगक व िन न ौ ोिगक के बीच जग क नौबत नह आई। ं भारतीय क बड़ी स या भी बेअसर रही। इ ह ताकत के सहारे ं यरोिपय ने अ का एवअमे रका उपमहा ीप के कई े पर क ज़ा ूं िकया; य िक वहाँ के मल िनवासी भी िव ान व ौ ोिगक म बहत ू पीछेथे। सामािजक सरचना भी ऐसी थी िक लोग को नया ं सजना मक काय करने के िलए कोई ो साहन नह िमलता था। वण ृ यव था के अतगत समाज चार मख वग म बँटा हआ था, िजसम ंु िवचारक,िश क, तथा पजारी सव च थान पर थे और उसके बाद ु शासक व यो ाओका थान था। तीसरे थान पर िकसान व यापारी ं थेऔर सेवा करने वालेचौथे थान पर थे। िन न वग पर लगी िश ा क रोक ने समाज के एक िवशाल वग को इससे विचत कर िदया था। ये ं लोग अपने दिैनक जीवन म अनेक कार क सम याओ का सामना ं करते थे। जो लोग सै ाितक ान रखते थे, उ ह यावहा रक काम ं करने वाल से अिधक मह व िदया जाता था। िव ान म यिद आगे बढ़ना ह ैतो िस ात व योग को साथ-साथ आगे बढ़ना होता ह।ै ं िवश िस ात को यिद अवलोकन व योग का सहारा न िमले तो ुं चली जाती थ , पर लोग के मन म धािमक भावनाए ँकट-कटकर भरी ूू होती थ और लोग इस लोकके बजाय परलोकक िचता यादा करते ं थे। यिद लोग साि वक यवहार करगे और क का सामना साहस के साथ करगे तो बाद म सख पाएगँे। साि वक जीवन का अथ सादा ु जीवन भी था, िजसम आव यकताए ँबहत कम होती थ और िवलािसता के िलए कोई थान नह था। इस धािमक सोच म हालाँिक अनेक गण थे, पर इसके कारण वतमान जीवन को बेहतर बनाने के ु यास पर पानी िफर जाता था। धािमक अधिव ास के कारण लोग ने दशे क सीमा को ं लाँघना बद कर िदया और िकसी भी भारतीय ने कोलबस या वा को-ंं िड-गामा क तरह लबी सम ी या ा नह क । इससे एक नई मनोवि ने ृंु ज म िलया िक हम उ ह चीज को पाने क चे ा करनी चािहए जो दशे म उपल ध ह, और अपनी आव यकताओ को हम सीिमत रखना ं चािहए। इस कार क िनि य मनोवि ने उन लाग क सहायता ृ क , जो भयकर गरीबी म खश रहकर जीवन िबताना चाहते थे। उ ह ने ंु उस तरह क िशकायत नह क , जैसे ासीसी ाित के दौरान लोग ने ंं क थ । यही कारण ह ैिक भारतीय समाज म उस कार क ाितयाँ ं नह हई जैसी यरोप म हई थ । इसके िलए िनि य मनोवितत काफ ृूं हद तक िज मदेार थी। यही नह , अमीर लोग म भी उन लोग के ित स मान था, जो सादा और िनि य जीवन यतीत करते थे। इस कार लोग म भयकर गरमी म भी वातानकिलत वातावरण म रहने क कोई ंुू इ छा नह थी और इसिलए वाय को अनकिलत करने का यास कोई ुुू िफर य करता !

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