IUCAA - VYOM - Hindi Pakhwada 2023

28 ाचीन काल से लेकर आज तक मन य ने अनेक े म ु गित क ह।ै जहाँ एक समय ऐसा भी था िक इ सान को जीिवत रहने हते अपना खद का सर ण करने हते गफा म िछपकर रहना पड़ता था। ुुंुु मगर धीरे-धीरे ही सही प रवतन होने लगा, इ सान अब गफा से बाहर ु िनकलकर अपनी र ा करने के िलए अवजार का िनमाण करने लगा और प थर से अवजार का िनमाण कर िव ान क ओर उसके कदम बढ़ने लगे। बहत सारे छोटे-बड़े सशोधन वह करता चला गया और ं जाने-अनजाने म ही सही मगर वह िव ान क िदशा क ओर बढ़ता गया।आजके समय मअब हम िव ान को कछ इस तरह से जानने लगे ु ह िक िजसका उपयोग हमारी रोज क भागदौड़ भरी िजदगी म होता ं हआ िदखाई पड़ता ह।ै िजसके कारण िव ान का तेज़ी से बढ़ता मह व हम वीकार करना पड़ता ह।ै लेिकन कभी-कभी हमारे सामने यह उपि थत होता ह ै िक िव ान हमारे िलए वरदान ह ैया अिभशाप? िजस कार िकसी िस के के दो पहल होते ह, उसी भाँित ू हर चीजके िवषय म भी दो पहल दखेने िमलते हऔर जब हम उन दोन ू पहलओ को जानते ह, उनके बारे म सोचते ह तभी हम अपना मत ूं िकसी िवषय पर िनमाण कर सकते ह। िव ान यह श द दो श द से िमलकर बना ह।ै िव+ ान, िव का अथ िवशषे और ान का अथ जानना होता ह।ै इस कार िकसी िवशषे ान को जानना ही िव ान ह।ै आज िव ान ने हमारे मन य जीवन को परी तरह से बदलकर रख िदया ुू ह।ै कभी-कभी हम यह िव ान हमारे िलए वरदान लगने लगता ह।ै य िक िव ान ने आज हमारे जीवन को बहत ही सिवधाजनक और ु सखद बनाया ह।ै इ सान ने बैलगाड़ी से लेकर अत र तक क या ा ुं का सफर िव ान ारा ही तय िकया ह।ै इतना ही नह , बि कआज के दौर म िव ान ने इतनी कामयाबी हािसल क ह ैिक िजसके चलते हर कामआसानी सेऔर जलद गित से होना सभव हो पाया ह।ै िव ान को ं व ान अ भशाप या वरदान? - सीमा राईदं हमारे वै ािनक ने त ान क जो जोड़ दी ह ैिजसके कारण हम ं भारतवासी अपनी कामयाबी को और बढ़ा रह ेह। हाल ही म हए 'च यान 3' का ेपण सभी भारतवािसय के िलए गव एव गौरव ह।ै ंं दिनया भर म भारत के च यान क चचा होते िदखाई दतेी ह ैऔर यह ंु बस िव ानकेकारण ही सभव हो पाया ह।ैं आज िकसी छोटी सजरी से लेकर बड़ी-बड़ी सज रय तक के िलए हमारे डॉ टर िव ान का उपयोग करते ह िजसके कारण बहत से लोग को जीवनदान ा होता िदखाई दतेा ह।ै िव ान का उपयोग करके 'जयपर फट' के िनमाता डॉ. मोद करण सेठी जी ने कई िद याग ूूं को हाथ और पाँव िदए ह। जब परे ससार को 2019-20 म कोरोना ूं जैसी भयकर महामारी का सामना करना पड़ा था तब पीिड़त यि य ं का इलाजकरने हते ऑि सजन का गैस िसलडर तथा सेनेटायझरऔर ुं अ य व तए ँएव कोरोना हॅ सीन के िलए िव ान का सहारा लेना पड़ा ुं था। िजससे आज यह िस होता ह ैिक िव ान के िबना हमारा जीवन ही नह ह।ै घर म पया सिवधा हते हम पखा, िबजली जलाते ह, ुुं लेिकन हमने कभी इस िवषय पर िवचार िकया ह ैया िक ये िबजली तक क या ा हमने िकस कार से तय क ह?ै िव म मानव ारा िबजली क खोज िव ान का बहत बड़ा और मह वपण अिव कार ू माना जाता ह।ैआज हमने िव ान ारा िबजली क खोजकरके रातको भी िदन जैसा ा िकया ह।ै िजसके चलते हमारा जीवन अ यत सरल ं और सिवधाजनकहआह।ैु िव म हमारे जीवन म अनेक खराब प रवतन भी होते हए िदखाई दतेे ह। िव ान से हमने अपनी सर ा हते कई अ -श का ुु आिव कार िकया। िजसम हमने परमाण बम, यि लयर बम जैसे ुु महािवनाशकारी अ -श त क िनिमती क ह।ै 6 अग त 1945 क सबह अम रक वाय सेना ने जपान के िहरोिशमा पर परमाण बम ुुु 'िलिटल बॉय' िगराया तीन िदन के बाद अम रका ने नागासाक शहर {h§Xr nIdm‹Sm amO^mfm àH$moð 2023 िहदी पखवाड़ा - िवजेता रचनां

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