IUCAA - VYOM - Hindi Pakhwada 2023

09 पदिच । मीरकैट अवशोषण रेखा सव ण (एमएएलएस; पीआई: एन. ग ा) दि ण अ का म मीरकैट रेिडयो टेली कोप के साथ िकए ु जा रह ेदस बड़े सव ण म से एक ह।ै आने वाले वष म, SALT- NOT सव ण और MALS से AGNऔर ठडी गैस के िवकास से ं सबिधत िविभ न मलभत म का समाधान होनेक उ मीद ह।ैंंूूु वासर एम1540-1453 क खोज SALT (180 घटे) ं और नॉिडक ऑि टकल टेली कोप (6 रात) का उपयोग करके एक मह वाका ी पे ो कोिपक सव णके मा यम से क गई थी, तािक ं ज़ेड > 1.5 पर रेिडयो-लाउड वासर (आरएल य) का एक िवश ूु प से अवर -चयिनत नमना तैयार िकया जा सके और प रभािषत ू िकया जा सके। मीरकैट अवशोषण रेखा सव ण (एमएएलएस) के ऐसे कई अन रत सवाल ह जो वै ािनक को सय का ुू अ यास करने के िलए ो सािहत करते रह ेह । इसके अलावा क सय ू क सतह पर हर िमनट बहत ती गितिविधया होती ह िजसके कारण ं सौर वात उ प न होते ह । कछ सौर वात क िदशा प वी भी होती ह ैृु अिपत प वी का चबक य े उसे इन सौर वात से बचाता ह । ृुंु हालािक कछ सौर वात प वी पर वेश कर हमारी िव त सचार और ृंुुं िबजली सय को नकसान पहचा सकते ह । अत र म घमते हमारे ंंुंंू उप ह और अतरा ीय अतराल टेशन म ि थत हमारे अवकाश ंं याि य को भी खतरा हो सकता ह ै। यथाकारण, सय का अ यास ू सय- हमारे सयम डल का क और प वी पर पनपती ृूू जीवन सि का पालनहार। वै ािनक मानते ह िक सय क आय ृूु लगभग 460 करोड़ साल ह ै। सय हमारी आकाशगगा का तारा ह ैजो ूं अभी और अदाजन 500 करोड़ साल तक स य रहगेा। मानव क ं तमाम वै ािनक उपलि धय के बावजद हम सय के बारे म कई चीज ूू ात नह ह: ∙ सय पर काले दाग कैसे उ प न होते हऔर हर 11 साल म य बढ़ ू जाते ह? • जैसे िक उसक भा मडल का तापमान 30 लाख अश सेि सयस ंं और सतह का तापमान उससेकई गना कम -6000अशसेि सयस ुं य ह?ै - भषण जोशी, चैत य राजिषू आज तक ऐसे 3 दशे के उप ह प वी के वातावरण से दर , ृू सय का अ यासकर रह ेह । 2008 साल म च यान 1 क सफलता के ूं बाद इसरो के वै ािनक ने अपना ल सय पर कि त कर िदया। ू सव थम यह िनि त हआथा िक एक उप ह प वी क प र मा करते ृ हए सय क भा मडल का अ ययन करेगा उस उप ह का नाम रखा ूं गया था 'आिद य'। पर त कई व र वै ािनक ने यह जाना िक यिद ु हम ल ाज िबद 1 (एल1) पर इस उप ह को थािपत कर तो हम सय ंंूु मानव जाित के िलए अहम बन जाता ह ै। सय का अ यास प वी क ृू सतह से भी सभव ह ैऔर आज क घड़ी म दशे-िवदशे को िमलाकर ं कल 600 वेधशालाए सय का अ यास कर रही ह । िफर भी करोड़ो ुंू पये आिद ययान पर य खच िकये गए ? यह भारत जैसे िवकसनशील दशे क आम जनता के िलए लाज़मी ह ै। इसका उ र ह ै- हाँ, यह अतराल िमशन ज री ह ै। प वी के ृं प र मण के कारण िदवस-रा होते ह, इसिलए 24 x 7 सय का ू अ यास सभव नह । आकाश म बादल, कोहरे क वजह से सय का ंू िनरी ण सभव नह हो पाता । सय से िनकलती उ च ऊजा क िकरण ंू जैसे गामा रे, िकरण, व अितनील िकरण प वी का वायमडल व ृुं ओज़ोन क परत रोक दतेी ह । हण जैसी गितिविधया कई वष म ं एकाध बार कछ िमिनट के िलए होती ह जब हम सय के कोरोना का ुू अ यास कर पात ह । यिद हम सय से िनकलती हर तरग दै य का 24 x ूं 7अ यासकरना ह,ै तो प वी के वातावरणसे बाहर जाना ही पड़ेगा । ृ आलेख आ द यान - एल 1 {h§Xr nIdm‹Sm amO^mfm àH$moð 2023

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