Khagol Bulletin # 131 (Jan 2024) - HINDI
एम.जी. िव िव ालय के के. इदलेखा, िवण िव म, ंूु िमन जॉय एव अ य सीयएसएटी के वी.सी.क रयाकोस, ुंूु िववेक एम, थारानाथ, िनिजओ आिद, कािलकट िव िव ालय के बी.आर.एस. बाब, सी. डी. रिवकमार ूु एव अ य लोग ने रा य म खगोलिव ान के अनसधान ंुं का चार करने म योगदान िदया। अतरा ीय खगोलिव ान वष 2 0 0 9 के दौरान ं आयोिजत िकए गए िविभ न काय म म से एक "शा ा ामम" नामक काय म था, जो िक केरल के इड क िजले म गाँव के िव ालय के िलए आयोिजत ु क गई मह वपण सावजिनक गितिविध थी, इसका ू आयोजन मिहलाओके उ थान, " कद ब ी " के िलए ंुु सामािजक सगठन क सहयोिगता म जो जैकोब एव रिव ंं िप लई ( यमनै कॉलेज, थोडपझा) ारा िकया गया । ुुु छा के िलए काय म एव ितयोिगताओक खला ृंंं आयोिजत क थी । इन काय म म सवे दशन करने वाले बीस छा को आयका लाया गया, जहाँ ु उ ह ने सकाय सद य एव शोध छा के साथ सवाद ंंं थािपत िकया और आईजीओ, जीएमआरटी आिद जैसी िविभ न सिवधाओ को भट दी । यह छा एव ुंं लीडर के िलएअिव मरणीयअनभव रहा ।ु िनजो वग स (एस.एच. कॉलेज, चलकडी) एव आर. ुं थरनाथ (ए वीनस कॉलजे, कोची) और उनके समह ने ू वी.सी. क रयाकोस क मित म म य केरल तथा ृु आसपास के भाग म दरबीन बनाने, खगोलफोटो ाफ ू एव खगोलिव ान से सबिधत सावजिनक गितिविधय ंंं केआयोजन क िवरासत जारी रखी ह।ै उ ह ने वष 2020 म खरीदी दरबीन का उपयोग ए ोनॉिमकल सोसाइटी ू ऑफ केरल (एएसके) के तहत िवशषेकर इस उे य के िलए िकया जाता ह।ै िव ालयीन छा के िलए उ ह ने दरबीन-बनाने के ू अनेक काय म का आयोजन िकया था। यह कहना सवथा उिचत ह ैिक केरल क खगोलिव ान क गितिविधयाँ उनक चार ओर घमती ह और उनक ू अनपि थित केरलकेखगोलिव ान समदाय क कभी न ुु भर पाने वाली हानी ह।ै उनके कायकाल म, केरल खगोलिव ान म आ मिनभर बना और रा य, रा ीय तथा अतरा ीय तर पर 3 0 0 से भी अिधक ं कायशालाओ एव िश ण काय म का आयोजन ंं िकया गया । केरला टोरी का अत िवशषे का िनमाण करने के िलए ं कायशालाओ तथा िश ण काय म का आयोजन ं करना नह ह।ै इसने खगोलिव ान, ाडिव ान एव ंं खगोलभौितक म रा ीय एव अतरा ीय अनसधान ंंुं म भी योगदान िदया ह।ै जब इस सहयोिगता ने 2002 म िसतारे- आकाशगगा वग करण के िलए मशीन ं लिनग टल कािशत िकया, तब खगोलिव ान और ू इस सहयोिगता से ा एक और उपलि ध ह ैशील ू अ ाहम एवअ य ारा कािशत िकए गए वासार सची ंू ने 2012 म खोजे गए 99% से भी अिधक वासार के बारे म उिचत प से पवानमान लगा पाना और यहाँ तक ूु िक यह आज भी 96% से भी अिधक ितशत श ह।ै ु यह तकनीक एव अ ययन ितमान म दस वष के ं िवकासके बावजद ह।ैू अपनी पीएच. डी. के दौरान िवन िव म ( क ीय ु िव िव ालय, कसारागोडे) ने Pymorph नामक पाइपलाइन िवकिसत क , िजसका उपयोग इन िदन खगोलिव ान समदाय ारा आकाशगगाओ क ुंं पा मक एव सरचना मक मापदड क खोज करने के ंंं िलए यापक प से िकया जाता ह।ै उ ह ने इसका उपयोग हबल पेस दरबीन एव लोअन िडिजटल काई ंू सव मआकाशगगाओके मापदड को िनकालने के िलए ंंं िकया। आयका सहयोिगता का िवशषे योगदान जॉयदीप बा ची ु के नेत व म जो जैकोब एव अ य. ारा गैले सी ृं सपर ल टर सर वती क खोज था, िजसने परी दिनया ुूु का यानआकिषत िकया। 28 वष से भी अिधकसमय से यह सहयोिगता िवकिसत हई ह,ै भिम आधा रत दरबीन का उपयोग करते हए ूू पे ल वग करण, छायािच के िलए कई उ नत एव ं आधिनक तकनीक, लाइगो ससचक म िणक ुंू वग करण, वेधशाला रखरखाव के िलए नैचरल ल वेज ु ोसेिसग का अन योग आिद खगोलिव ान अनसधान ंुुं और उससे परे के िलए समदाय ारा िवकिसत एव ुं अन य िकए गए।ुु खगोलभौितक म एआई (AI) के िलए आध ेदजन से भी कम मामल के िलए उपयोग िकए जाने क रपोट ह।ै हालाँिक, अब अिभलेखागार म हर िदन औसतन एक दजन से भी अिधक शोधप इन तकनीक का उपयोग करते नज़रआरह ेह। अतरा ीय सहयोिगता एव ि प ीय प रयोजनाए ँइन ंं सहयोिगताओके वाभािवक प रणाम के प म सामने ं आती ह। शोधकता आभासी वेधशाला प रयोजना, लाइगो, सीआरटीएस, सॉ ट, एसकेए और अ य अतरा ीय काय म म शािमल थे। एसकेए इिडया ंं कॉ सोिटयम म स थापक सद य व यह केवल इस ं कार के सहयोगा मक काय म म रा य के खगोल के सि य सहभािगता का एकउदाहरण ह।ै खगोलिव ान अनसधान के िलए िवकिसत िकए ुं गए ितमान का िव तार अ य े म भी िकया गया ह।ै इस ि से पण ेनॉलेज ल टर, आयका ुु सहयोिगता (एसोिसएटिशप) एव आयका म उ च-ंु दशन सगणक य सिवधाओ को भी उि लिखत करना ंुं वतमान म केरल म यमनै कॉलेज, थोडपझा, ोिवड स ुुु कॉलेज, कािलकत एव भौितक िवभाग, कोचीन ं यिनविसटी ऑफ साइस एड टे नॉलजी (सीयएसएटी), ुंंू ऐसे तीन खगोलिव ान अनसधान एव िवकास के िलए ुंं आयका क (आईकाडस) कायरत ह। थानीयआयका ु्ु सहकम वहाँ िविभ न गितिविधय का सम वयकरते ह । केरल खगोलिव ान समदाय उ रो र प रप व होता ु गया और वष 2014 से एमएसीएफएएसटी, िथ व ला म केरलकेखगोल के पहले वत प से स मलेन के ं साथ येक वष बढ़ते उ साह के साथ इस कार के आयोजन िनरतर प से िकए गए। अब इसे रजनल ं ए ोनॉमस मीट के नाम से जाना जाता ह।ै केरल रा य के बाहर भी इसका अि त व ह।ै इस वष नौव बैठक का आयोजन मिणपाल सटर फॉर नैचरल साइस ुं ( एमएनसीएस) म िकया गया, जहाँ यवा ु अनसधानकताओ ने िवशषे के समह के सामने पहले ुंंू अपने काय को तत िकया और उस पर चचा क । ु आयका के व र सद य जैसे िक रजीव िम ा, अिजत ुं कभवी और आयका के कई थानीय सहकिमय ने ु कायवाही का िनरी ण िकयाऔर यवाओका मागदशन ुं िकया। केरल क सफल कहानी ऐसे ही िनरतर चल रही ं ह।ै िमन जॉय ारा अ फा स कॉलेज पालई म और शील ुू अ ाहम ारा मार थोमा कॉलेज, चगथारा, म केवल ंु मिहला छा के िलए दो खगोलिव ान कायशालाओ ं का आयोजन िकया गया था । इन कायशालाओ ने कई ं मह वका ी मिहला छा ाओ को खगोलिव ान म ंं क रअर करने के िलए ो सािहत िकया । उनक या ा अपेि त ह।ै ोिटन पािटकल िपिकग ॉम CryoEM ं इमजेेस, जीवजतओ का यवहारवादी अ ययन, ंुं मॅ ोफेजेस म पा मक प रवतन आिद के िलए नेचर जैसे यात जनल के शोधप म डीएमई िविनमाण सय के िलए िडिजटल टिव स के उपयोग, सॉिलड ्ं हाइ ोजन आिद के िलए रा ीय कोिशका िव ान (एनसीसीएस) क सहयोिगता म , रा ीय रासायिनक योगशाला ( एनसीएल) के साथ सहयोगा मक प रयोजनाओ म लेखक भी ितभागी था जो इस कार ं क सहयोिगता के िबना सभव नह था।ं पहले िच म, अ य यवक ह ैिफिलप िननैन, जो पण प ुू से खगोल और टीआईएफआर, मबई म सकाय सद य ंुं बन। और एक ऐसा नाम िजसे खगोलभौितक क या ा के साथ जोड़ा जाना चािहए वो ह ैवग य पॉल कोिडयन थॉमस, एचओडी, भौितक एव इले ॉिन स िवभाग ं (मानद िव िव ालय)। वी.सी.क रयोकोस क तरह ही, ु पॉलकोिडयन थॉमस ने ि ट िव िव ालय, बगलोर म खगोलिव ान म अनसधान के िलए बिनयादी न व तैयार ुंु करने मअ यिधकमह वपणभिमका िनभाई।ूू | 06 A§H$ 131 - OZdar 2024 | IJmob | KHAGOL
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