Khagol Bulletin # 131 (Jan 2024) - HINDI

द केरला टोरी िपछले कछ दशक म खगोलिव ान और ु खगोलभौितक ने भारत के दि णी े म अपने कदम जमाए ँह। इसका अिभ न घटक केरल म िव िव ालयीन अनसधानकताओ के साथ आयका ुंंु वै ािनक क ारिभक पार प रक सवादा मक चचा ंं रही ह,ै जो आगे अ य े म बढ़ी। इस आलेख म, म केरल म खगोलिव ान और खगोलभौितक अनसधान ुं और गितिविधय क इस या ा को िफर से दोहराता ह: द ं केरला टोरी केरला टोरी क कई खलाए ँह और तत वणन यह ृंु उनम से एक ह।ै अ य दो वणन ि व म एव कोचीन ं िव िव ालय (सीयएसएटी) के ह। इन सबक श आत ूु अिजत कभवी ारा खगोलिव ान के अनसधान को ुं बढ़ावा दनेे के िलए कोचीन िव िव ालय को दी गई भट के साथ हई, जहाँ म क वी. जॉन (पहले िच म अपनी प नी और दो ब च के साथ नरेश दिधच क दाई ओर ं खड़े ह।) और म, हमारी पीएच.डी. कर रह ेथे। अिजत कभवी जी ने हमशेा क तरह िव तरीय सपक के साथ ं (उस व ए यकेशन एड रसच नेटवक ऑफ इिडया ुंं ERNET के मा यम से ) अनसधान करने के अवसर ुं और खगोलिव ान म ा होने वाले अवसर का ेरक वणन िकया । जन सकेअनसधान साराश ा करने के ुंं िलए िव िव ालयीन थालय के इटरनेट सपक पर ंंं िनभर रहने वाले हम यह ताव सनकर अ यिधक ु अिभभत हो गए और हमने अिजत कभवी से पछा िक ूू या वे इन सिवधाओका हमारे कॉलेज म िव तार करना ुं चाहगे। हमशेा क तरह उनका जवाब था, हाँ! उससे भी अिधक, उ ह ने ि व म जाते-जाते हम हमारे कॉलेज म छोड़ने का ताव िदया । जब हम कॉलेज वािपस पहच ें और इस बारे म कॉलेज के बधक मार ाइसो टोम ं [दसरे िच म सबसे बाई ओर जयत नाल कर (िनदशेक, ंूं आयका), नरेश दिधच, अिजत कभवी (दोन बाद म ु आयका के िनदशेक बन) और के. बाब जोसेफ (बाद म ुू (सीयएसएटी) के कलपित बन) के साथ] को सिचत ुुू िकया तो उ ह ने बैठक के िलए ता कािलक प से आव यक यव था क । एक क यटर क यव था क ंु गई और आईआईएससी बगलोर के साथ एसडीटी के ारा सपककरने के िलए उनका यि गत फोन कने शन ं उपल ध कराया गया। जब अिजत कभवी आए, तब वे अपने साथ stthom.ernet.in नामकडोमने लेकरआए ं और उ ह ने आईआईएससी बगलोर से सपक थािपत ं िकया। सट थॉमसकॉलेज दशे का वो पहला कॉलेज बना िजसके पास ERNET नाम का डोमने था और इटरनेट ं कनेि टवीटी भी पण थी (खरै उन िदन डायल-अप ू कने शन के िलए दस केबीपीएस सबसे अिधक पीड था! ) वहकेवलनए यगकाआरभथा।ुं िच 1: यह 1997 चारल माऊट, केरल कायशाला का छायािच ह।ै इस िच म बाई ओर, टी जॉज वग स (भौितक ंं िवभाग मख, सट थॉमस कॉलेज, कोलेनचरेी), अिजत कभवी, लेखक एव उनका प रवार तथा नरेश दिधच, म क ुं एव उनका प रवारं िच 2: यह छायािच 1997 क कायशाला के दौरानआयोिजत सावजिनकबैठकके दौरान िलया गया ह।ै बाईओर, ं सेवािनव रेव मार ाइसो टोम, जयत नाल कर, बाबजोसेफ (सीयएसएटी), अिजतकभवीऔर ो. नरेश दिधच।ृंूू 1999 म, सट थॉमस कॉलेज के पास पहाडी प रसर म चारल माउट म सगणक खगोलिव ान पर एक लघ-ंंु कायशाला का आयोजन िकया गया, िजसम योगेश िदसबर 1997 म, रा य मआयका क पहली कायशाला ंु का आयोजन िकया गया िजसम म य केरल (दसरा ू छायािच उस कायशाला के दौरान आयोिजत सावजिनक बैठक के दौरान िलया गया ह)ै केऔर उसके आसपास के कई महािव ालय के सकाय ने ं सहभािगता दशायी थी। उन ितभािगय म से एक थे यमनै कॉलेज, थोडपझा के जो जैकोब । बाद के वष म ुुु उ ह ने अपने कौशल का उपयोग करते हए सपण केरल ंू म आयका क े तम सावजिनक गितिविधय का ु सम वय िकया। एक अ य यि जो िक अब हमारे साथ नह ह ैिकत उ ह ने केरल रा य म आयका ंुु क सावजिनक गितिविधय के सचालन म ठोस ं भिमका िनभाई वे ह, कोिचन िव िव ालय के ू वी.सी.क रयाकोस ।ु वडाडेकर एव सारह पो ाथम ने ितभािगय को ं िश ण दनेे के िलएआयका से तीन क यटर को लाया ुंु था। उ ह ने ायोिगक िश ण दनेे के िलए आध ेदजन क यटर के नेटवक को थािपत िकया। उिचत प से इन ंु यास क सराहना करने के िलए, उन िदन आयका म ु होने वाली सगणक य सिवधाओ को दखेना चािहए ंुं (िच 3)। यहआ यक बात नह ह ैिककायशाला को अ छे प से वीकत िकया गया और उसके ृ प रणाम व प कायशाला म सि मिलत हर एक को े रणा िमली। उसी वष, स िति त वी. सी. क रयाकोस के नेत व म ृुु सीयएसएटी मआयका रसोस सटर क थापना क गई। ूु हालाँिक वी.सी.क रयाकोस वय सै ाितक भौितक ुंं िव ानी थे, िफर भी रा य के महािव ालय तथा िव िव ालय म खगोलिव ान के सावजिनक करण एव कायशालाओ, िश ण काय म के आयोजन ंं आिद म उनका योगदान अग य ह।ै िवशषेकर | 05 A§H$ 131 - OZdar 2024 | IJmob | KHAGOL

RkJQdWJsaXNoZXIy MzM3ODUy