Khagol Bulletin -133- HIN
यातायात ठ प होना एव आकाशगगा इन दोन मामल ंं म तरग मा यम के सम वाह से धीमी एव वत प से ंंं चलती ह।ै इसके अलावा, िजस कार जलस का सड़क ुू से चले जाने के बाद भी यातायात का ठ प होना काफ समय तक बना रह सकता ह;ै उसी कार सिपल सरचना ं ोभकारी ोत क समाि के बाद भी काफ समय तक बनी रह सकती ह।ै जैसे िक कछ िनि त वाहन यातायात ठ प नह करते ु उसी कार सिपल भजाए ँिकसी िविश तार के समह ुू अथवा गैस के बादल के साथ सब नह होती। ंं यातायात ठ प एनालॉग के समान, चि का के िसतारे एव गैसके बादलसिपलभजा म वेशकरते हऔर वहाँ ंु बढ़े हए चि का घन व के कारण सभािवत कए म ंुं िगरकर पल भर के िलए उनक गित धीमी होती ह; वे आिखरकार कए से बाहर िनकलते ह और िफर गागेय ुंं क के चार ओर अपनी क ाओ म प र मा करना ं जारी रखते ह। इसके प रणाम व प, हमारे पाससमयके िविभ न िबदओ पर चि का के िविभ न भाग को ंंु सि मिलत करने वाले उ च तारक य एव गैस घन व का ं िवचलन े ह।ै घन व तरग एव दोलनक सामा यप ितयाँंं घन व तरग िस ात का साराश ोभकारी सतह घन व ंंं होता ; उसे तरत पीछे से आने वाले अ य वाहन ारा ुं ित थािपत िकया जाता ह।ै इसिलए, यातायात का ठ प होना घन व तरग का एक उदाहरण ह,ै और इसी तरह ं गागेय सिपलभजाए ँभी ह।ंु यिद ILR म सिपल तरग अवशोिषत होती ह,ै तो िफर ं सिपल सरचना दीघकाल तक नह रहगेी। हालाँिक, यिद ं तरग ILR म पहचने से पहले ितिबिबत होती ह,ै तो ंंं अरीय िदशा म तरग का प वासी- टेशनेरी जैसा ं थािपत हो सकता ह।ै चि का क कछ भौितक य ु िवशषेताए ँतरग को ILR (Q-barrier)) म पहचने से ंं के ि या मक ा प का िनधारण करना ह,ै जो ोभ को णाली के दोलन क सामा य िविध होने क अनमित ु दतेा ह।ै इस कार क िविध के िलए, ग वाकषण े म ु होने वाला िव ोभ पदाथ के असमिमत िवतरण के साथ सब होता ह ैजो असमिमत ितसाद को उ प न करने ं के िलएआव यक ोभ े के समान होता ह।ै चि का के िविभ न घणन के कारण चि का एव सिपल ूं तरग के बीचकोणीय सवेग तथा ऊजा का आदान- दान ंं होता ह।ै इससे यह पता चल सकता ह ैिक यह आदान- दान म य प से Lindblad Resonances म होता ु ह,ै जहाँ तारे क सिपल तरग िवभव के िशखर एव गत ंं को ित छेद करने क आवि या तो श य होती ह ैृू (अथात तारा हमशेा िवभव के साथ चरणब होता ह)ै या िफर व ाकार क ा के पास तारे क दोलनआवि के ृृ बराबर होती ह।ै वा तव म बाहरी L i n d b l a d Resonance (OLR) म ऊजा अवशोिषत होती ह ैऔर तरग ितिबिबत होती ह।ै वह दसरी ओर आत रक ंंंू Lindblad Resonance (ILR) म ऊजा बाहर छोड़ी जाती ह ैऔर तरगअवमि दत होती ह।ैं तरग एवपदाथके बीचऊजा काआदान- दान ंं अरीय िदशा मअचर या अ गामी तरगें 3. डाइनैिम स ऑफ गैलेि सज: बिटन, कैि ज यिनविसटी ेस ू 2. गैलेि सज एड गैलेि टक चर: ए मे ीन, िटस ं हॉल रोकती ह और इस कार अ गामी तरग पैटन के िनमाण ं म सहायता करती ह,ै इ ह तरग िविधभी कहा जाता ह।ं ये सभा य प से थानीय ाड म दो-भजाओ वाली ंंुं सिपलसरचना क सव यापकता क या या करते ह। ं 1. गैले सी एड कॉ मोलॉजी: कॉ स, बोइस, माजर ंु और लचड, ि गर ं सिपल सरचनाए ँअिधकतर दो-भजाओवाली यो ंुं होती ह? सदभ:ं उ चतर-कोिट के अननाद (हाईयर-ऑडर रजोन स) ु आकाशगगाओक बाहरी ओर होने अथवा गागेय क ंंं के अ यिधक समीप होने के कारण भी गितशील प से कम मह वपण होते ह। 3 भजाओ वाली सिपल सरचना ूुंं के िलए, उदाहरण के तौर पर, अननाद सह-घणन ि या ुू के समीप होते ह। रोचक बात यह ह ैिक, हालाँिक, अननाद, दो भजाओ वाली सिपल सरचना के मामले म ुुंं मौटे तौर पर आकाशगगा के ि यीय े से पथक होता ृं ह।ै 4. िफिज स ऑफ ए ोिफिज स II: श, यिनविसटी ूू साइस ब स ंु 5. िफिज स ऑफ ैिवटेिटग िस ट स II: ि डमनै ं और पॉलीचे को, ि गर-वेरलागं | 05 A§H$ 133 - OwbmB© 2024 | IJmob | KHAGOL डॉ. अ िणमा बनज सै ाितक तारा-भौितकिवद ह। इनक िवशषे ता ं् आकाशगगाओ क गितक एव गागेय खगोलिव ान म मशीन लिनग का ंंंं अन योग िवषय म ह।ै वतमान म यह भारतीय िव ान िश ा एव अनसधान ुंुं स थान, ित पित के भौितक िवभाग म सहयोगी ोफेसर एव सहयोगी ंं अ य ह तथाआयका, पण ेक अ यागत सहकम के प मकायरत ह। वह ुु भारतीय िव ान अकादमी के जनलऑफ ए ोनॉमी एड ए ोिफिज स क ं सपादक य बोड क सद य और ए ोनॉिमकल सोसाइटी ऑफ इिडया के ंं लिगक समानता के िलए काय समह क अ य भी ह। सगीत, पिटग एव ूंंं पढ़ना इनक कछमनबहलाव गितिविधयाँ ह।ु
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