Khagol Bulletin # 132 (Apr 2024) - HIN
हाइ ोजन 21 सीएम पे मी रेखा का उपयोग करके आकाशगगाओ का अ ययन करना ंं आईएसएम म हाइ ोजन या तो परमा वीय ा प म या िफर आयनीकत या आिणवक ा प म उपि थत होता ृ ह।ै इनम से परमा वीय हाइ ोजन को HI के प म उि लिखत िकया जाता ह।ै यह यमान ारा कल ु हाइ ोजन गैसका लगभग 60%होता ह।ैआकाशगगाए ँं अपने िवकास एव जीिवका के िलए ईधन के प म गैस ंं का उपयोग करती ह। वे अपनी चार ओर के प रवेश से या िफर अ यआकाशगगाओके साथअ यो यि या के ंं मा यम से आयनीकत हाइ ोजन गैस अिजत कर लेती ृ ह। आकाशगगाओ म अिभविधत होने के बाद ंं आयनीकत हाइ ोजन गैस HI गैस म प रवितत होते ह, ृ जो अतत: आईएसएम म धल कण क सहायता से ंू आणिवक हाइ ोजन गैस बनाती ह।ै आणिवक गैस स ह होता ह ैिजससे िसतारे आकाशगगाओ म मत प ंंंू लेते ह। इसिलए HI गैस आकाशगगा के जीवनच म ं एक मह वपण म यवत चरण के प म भिमका िनभाती ूू ह।ै इसका आकाशगगाओके अवलोकन यो य गणधम ंंु पर सीधा भाव पड़ता ह ैजैसे िक िसतार का कल यमान, िसतार के िनमाण का दर और ु हाइ ोजन गैस आकाशगगाओके िलए मह वपण ंंू य है? आकाशगगाए ँ ाड क बिनयादी इकाई ह।ै वतमान ंंु के खगोलीय अनसधान के कछ अनसलझ ेसवाल म से ुंुु मख सवाल ह: 'आकाशगगाए ँकैसे बनती ह?' और ुं 'आकाशगगाए ँ ाडीय समय के साथ कैस ेिवकिसत ंं होती ह?' इन सवाल के जवाब के िलए, सव थम आकाशगगाओके िविभ न घटक के बारे म समझ लेना ंं अ याव यक ह।ै यह तो सभी जानते ह िकआकाशगगाए ँं िसतार से बनी हई होती ह- अनमान ह ैिक हमारी ु आकाशगगा 100 अरब से भी अिधक िसतार को अपने ं म समािहत िकए हए ह। हालाँिक, जो बात अ छी तरह से नह मानी जा सकती वह यह ह ैिक तारे िकसी आकाशगगा म कल आयतन का केवल एक छोटा सा ंु अश बनाते ह। आकाशगगा म िसतर के बीच मौजद ंंू पदाथ और ऊजा को ' अतरतारक य मा यम' या ं आईएसएम कहते ह। उदाहरण के तौर पर, आईएसएम आकाशगगा क मा ा का 99.99% से अिधक गठन ं करता ह।ै आईएसएम म यत: यन घन व गैस से बना ुू होता ह,ै जहाँ औसतन स या घन व येक यिबक ंू सटीमीटर म एक हाइ ोजन परमाण के बराबर होता ह।ै ु इस गैस का अिधकाश भाग, लगभग 70% भाग ं यमान म और लगभग 90% भाग परमाणओ म ुं हाइ ोजन का होता ह-ै जो िक ाड म सबसे यादा ं मा ा म पाए जाने वाला त व ह।ै आकाशगगाए ँिकससेबनी होती ह?ं आकाशगगाओ क रासायिनक चरता। जब िक एक ंंु ओर HI गैस आकाशगगाओ म िसतार के िनमाण ंं गितिविध को िनयि त करती ह,ै वह दसरी ओर वो ंू िसतारे िनमाण के साथ सबिधत िवक रणी, रासायिनक ंं और याि क ितपि / पनभरण ारा भािवत भी होती ंुु ह। इसिलए, आकाशगगाओ म िसतार के िनमाण ंं गितिविध के ाडीय िवकास क भौितक ि या को ं समझने के िलए आकाशगगाओके साथ सब HI गैस ंंं के िवकास का पता लगाना मह वपण ह।ै इसकेअलावा, ू HI गैस, आकाशगगाओके तारक य घटक क अपे ा ंं िविश प से अ यिधक िव ता रत ह ैऔर इसिलए यह वातावरण के साथ और अ य आकाशगगाओ के साथ ंं अ यो यि या ारा होने वाली िवकितय के िलए ृ अ यिधक सवेदनशील ह।ै इसिलए िवलयन और ं अिभवि सिहत आकाशगगाओ क पदान िमत ृंंु सरचना िनमाण ि या HI गैस पर स प छाप छोड़ती ंु ह।ै डच खगोलशा ी, हि क वैन डी ह ट ने 1944 म पहला पवानमान िकया था िक हाइ ोजन परमाण 1420 ूुु MHz क बारबारता पर या िफर 2 1 सेमी क ं बहतरगदै य पर समक प से पे मी रेखा का ं िनमाण कर सकते ह। इस रेखा के होने का कारण हाइ ोजन परमाण के भ-तलीय ि थित म दो अितस म ुूू तर के बीच इले ॉन ोटोन च ण-पलटाव स मण ं ह।ै अ य श द म, इले ॉन के च ण के साथ हाइ ोजन परमाण अितस म उ िेजत ि थित म उस ुू ोटोन के साथ पि ब होता ह ैजो इले ॉन च णके ं पलटी से गजरता ह ैइस तरह से िक यह भ-तलीय ि थित ुू म उस ोटोन के साथ ितसमा तर पि ब होते ह ं िजसके प रणाम व प 21 सेमी के तरगदै य के साथ ं फोटोन का उ सजन होता ह।ै घटना क यनतम सभावना ूं के साथ उ च विजत स मण होने के बावजद, HI 21 ंू सेमी रेखा आकाशगगाओ से अवलोकन यो य ह ैंं िजसका ये ाड म बड़ी स या म मौजद हाइ ोजन ंंू परमाणओको जाता ह।ै रेिडयो बारबारता म घटनेवाला, ुंं हाइ ोजन परमाण से यह िवक रण धल, मघे को भदेन ुू करता ह ैऔर हम यमान काश से अिधक आईएसएम का पण य दान करता ह।ै ू आकाशगगाओ क HI 21 cm रेखा क पहली खोज ंं 1951 म तीन वत अनसधान समह ारा क गई थी। ंुंू उसके बाद से यह पे ल रेखा रेिडयो खगोलिव ान म अ यिधक मह वपण एव सबसे अिधक अ ययन क ूं जाने वाली रेखा बन गई। हम आकाशगगाओ म परमा वीय हाइ ोजन गैस ंं का िकस कार अ ययनकरते ह? HI 21 cm उ सजन अ ययन हम आकाशगगाओ ंं के बारे म या बताता है? आकाशगगा के साथ-साथ अ य आकाशगगाओ म ंंं परमा वीय गैस के िवतरण, सरचना, श गितक य ंु एव भौितक ि थितय के अ ययन के िलए HI 21 ं c m उ सजन रेखा अ यिधक भावशाली उपकरण सािबत हआ ह।ै आस-पास के ाड म, छ न HI ं 21 cm उ सजन रेखा सव ण एकल िडश रेिडयो दरबीन का उपयोग करते ह, जैसे िक अरेिसबो और ू पाकस। वे ाड सबधी H I यमान घन व ंंं के िव सनीय मापन दान करते ह। दसरी ओर, ू HI ितिबबन वेरी लाज ॲरे (VLA) और जाएट ंं मीटरवेव रेिडयो टेली कोप (GMRT) जैसे रेिडयो इटरफेरोमिे क ॲरे का उपयोग करके िवभिेदत ं आकाशगगाओ क सरचना एव गितक को ंंंं अिभलि त िकया ह।ै इन अवलोकन ने िसतार के िनमाण गितिविध के साथ और आकाशगगाओ के ंं वातावरण के साथ के परमा वीय गैस के सबध को ंं समझने म मदद क ह।ै इसके अलावा, आकाशगगाओ ंं के HI 21 cm उ सजन न श का उपयोग घणन व ू के य प न होने के िलए िकया गया जो आकाशगगाओ ुंं के क से दरी के आधार पर पदाथ क गित को बताता ू ह।ै इस कार य प न घणन व आकाशगगा क ुूं क से बड़ी दरी पर समतल बने रहकर दशाते ह िक ू आकाशगगाओ म ऐसा पदाथ ह ैजो यमान नह ंं ह ैऔर इस कार अदी पदाथ के अि त व का मह वपण सबत दान करते ह। हालाँिक HI 21 cm ूू उ सजन सकेत का अिभवाह अनसलझ ेउ सिजत गैस ंु क दरी के वग के ितलोमत: अनपाती होता ह।ै ुू इसिलए, वतमानीय अिधकाश रेिडयो दरबीन क ंू सवेदनशीलता के कारण हमसे कई दरी पर ि थत ंू आकाशगगाओ से सीध ेHI उ सजन का मानिच ण ंं करना मि कलहोता ह।ैु HI 21 cm अवशोषण अ ययन हम आकाशगगाओ के बारे म या बताता है?ंं HI 21 cm उ सजन स ेिभ न, HI 21 cm अवशोषण क ससचनीयता अवशोषक गैस क दरी ारा सीिमत ंूू नह होती बि क यह केवल प भिमक रेिडयो ोत के ृू सामा य पर और आकाशगगाओ ारा आकाश पर ंंे िपत HI 21 cmअवशोषणअन थ काट पर िनभर ु होती ह।ै इसिलए, HI21 cm अवशोषण रेखा का अ ययन आकाशगगाओ म परमा वीय गैस घटक के ंं िवकास को समझने के िलए उ सजन रेखा के अ ययन के िलए सहायक हो सकता ह।ै रेखाओ क तापीय ं चौड़ाई के साथ-साथ काशीय गहराई का उपयोग करके A§H$ 132 - An«¡b 2024 | IJmob | KHAGOL | 07
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